देसी व काबुली चने की बिजाई का 15 नवंबर तक सही समय चने की अगेती बिजाई करने से बचेंः डॉ. सुनील
हरियाणा में चने की बिजाई के लिए 15 नवंबर तक का समय सही है। उन्नत किस्मों और बीज उपचार से अधिक उत्पादन संभव है। किसानों को अगेती बुआई से बचने की सलाह दी गई है।
हरियाणा में चने और काबुली चने की खेती करने का यह सही समय है। विशेषज्ञों के अनुसार, 15 नवंबर तक चने की बिजाई करने से बेहतर पैदावार मिलती है। परंतु अगेती बिजाई से बचना चाहिए, क्योंकि इससे उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
उन्नत किस्में और सही बीज चयन हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बताया कि चने की खेती के लिए उन्नत किस्मों का चयन बेहद आवश्यक है। हरियाणा के किसानों के लिए हरियाणा चना नंबर 1 (एचसी 1), हरियाणा चना नंबर 5 (एचसी 5), हरियाणा चना नंबर 6 (एचसी 6), और काबुली चना के लिए हरियाणा काबुली चना नंबर 2 (एचके 2) जैसी उन्नत किस्में उपलब्ध हैं। इनकी बिजाई का आदर्श समय 30 अक्टूबर से 15 नवंबर तक होता है, जिससे बेहतर उत्पादन की उम्मीद की जा सकती है।
बीज की मात्रा और बुआई विधि किसान भाइयों को प्रति एकड़ 16 किलोग्राम बीज का उपयोग करना चाहिए। हकृवि वैज्ञानिक डॉ. सुनील कुमार के अनुसार, अगेती बिजाई से बचना जरूरी है। अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग का कहना है कि बुआई ‘पोरा’ विधि से करनी चाहिए। इसमें 30 सेंटीमीटर की दूरी पर 2 खूड़ों के बीच 10 सेंटीमीटर की गहराई पर बीज डालें। अगर खेत में नमी की कमी हो तो खूड़ों के बीच की दूरी 45 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
किस्म | बिजाई का समय | बीज की मात्रा (प्रति एकड़) |
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हरियाणा चना 1 | 30 अक्टूबर – 15 नवंबर | 16 किग्रा |
हरियाणा चना 5 | 30 अक्टूबर – 15 नवंबर | 16 किग्रा |
हरियाणा चना 6 | 30 अक्टूबर – 15 नवंबर | 16 किग्रा |
हरियाणा काबुली चना 2 | 30 अक्टूबर – 15 नवंबर | 16 किग्रा |
खेत की तैयारी और उर्वरक प्रयोग चने की फसल को अच्छी पैदावार के लिए उचित पोषण की जरूरत होती है। बिजाई के समय प्रति एकड़ 12 किलोग्राम यूरिया और 100 किलोग्राम सुपर फास्फेट डालना चाहिए। यदि डीएपी उपलब्ध हो, तो 34 किलोग्राम डीएपी को बिजाई के समय बीज के नीचे ड्रिल करें।
इसके अलावा, दीमक से बचाव के लिए बाविस्टिन @ 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से बीज उपचार करें। साथ ही 4 ग्राम ट्राइकोडरमा विरिडी (बायोडरमा) + विटावैक्स 1 ग्राम का 5 मि.ली. पानी में लेप बनाकर बीज का उपचार करें। दीमक के हमले से बचने के लिए 850 मिली मोनोक्रोटोफास 36 एसएल या 1500 मिली क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी को पानी में मिलाकर कुल 2 लीटर घोल तैयार करें।
राइजोबियम टीका और जिंक सल्फेट का प्रयोग चने के बीज को राइजोबियम का टीका लगाना चाहिए। यह फसल को आवश्यक नाइट्रोजन की पूर्ति में सहायक होता है, जिससे फसल का विकास अच्छा होता है। यदि जमीन बहुत रेतीली है, तो प्रति एकड़ 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट का उपयोग करना भी आवश्यक है।
बीज उपचार के फायदे बीज उपचार करने से न केवल दीमक और अन्य कीटों से बचाव होता है, बल्कि इससे फसल की वृद्धि भी बेहतर होती है।
- बाविस्टिन का उपयोग फंगल संक्रमण को रोकता है।
- ट्राइकोडरमा विरिडी जैविक फसल सुरक्षा प्रदान करता है।
- विटावैक्स बीज के अंकुरण में मदद करता है।
चने की खेती के लिए सही समय और तकनीक का उपयोग करने से बेहतर उत्पादन सुनिश्चित किया जा सकता है। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, 15 नवंबर तक चने की बिजाई करना और अगेती बुआई से बचना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्नत किस्मों, उचित बीज उपचार, और सही उर्वरक प्रयोग से किसानों को अधिक लाभ मिलेगा।
महत्वपूर्ण बातें:
- चने की बिजाई का सही समय 30 अक्टूबर से 15 नवंबर है।
- अगेती बिजाई से बचना चाहिए।
- उन्नत किस्में जैसे हरियाणा चना नंबर 1, 5, 6 और काबुली चना नंबर 2 का उपयोग करें।
- बीज उपचार और राइजोबियम टीका अवश्य करें।